Tata Steel, टाटा ग्रुप की स्टील company, ने अपने ऊपर लगे पाखंड के आरोपों का सफाई दी है। कंपनी ने 10 जनवरी को वेल्स के पोर्ट टालबोट स्टीलवर्क्स में दो ब्लास्ट भट्ठियों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का ऐलान किया था। इस ऐलान के परिणामस्वरूप, 2800 jobs पर असर हो सकता है। इसके पहले, कंपनी पर हिपाक्रिसी का आरोप लगा गया था, जिसका समापन अब इस ऐलान से हुआ है।
Tata Group News: टाटा स्टील, टाटा ग्रुप की स्टील कंपनी, ने अपने ऊपर लगे पाखंड के आरोपों का सफाई दी है। 10 जनवरी को, वेल्स के पोर्ट टालबोट स्टीलवर्क्स में दो ब्लास्ट भट्ठियों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का ऐलान टाटा स्टील ने किया। इस ऐलान के परिणामस्वरूप, 2800 नौकरियों पर असर हो सकता है।
इसके बाद, कंपनी पर पाखंड का आरोप लगा गया था। अब, कंपनी के ceo tv नरेंद्रन ने बताया कि इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य यूनाइटेड किंगडम (UK) में ब्लास्ट भट्ठियों को बंद करना और इलेक्ट्रिक भट्ठियों की दिशा में है, जो देश के नेट जीरो के लक्ष्य के साथ मेल खाती है।
क्यों लगा पाखंड का आरोप
British Newspaper “द गॉर्डियन” की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा स्टील पर बड़े पैम्फलेट का आरोप लगा जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि कंपनी एक ओर भारत में नई ब्लास्ट भट्ठी की शुरुआत की तैयारी में है। साथ ही, दूसरी ओर वेल्स, यूनाइटेड किंगडम, में कार्बन उत्सर्जन में कटौती का आरोप लगाया गया है, जिससे हजारों नौकरियां चली गईं।
Tata Steel ने क्या दी सफाई
CEO of Tata Steel ने बताया कि इस मामले में हमें विभिन्न स्थानों के संदर्भ को समझना चाहिए। वह कहते हैं कि यूरोप में, कॉर्बन टैक्स की वजह से, वहां नेट जीरो के लक्ष्य को पूरा करने का लक्ष्य 2050 तक रखा गया है और इसमें यूनाइटेड किंगडम भी शामिल है। इसके लिए नीतियां बनी हैं और सरकारें यहां तक कि 2030 तक कैसे carbon घटाने का लक्ष्य है, इस पर काम कर रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ब्रिटेन में व्यापक व्यापार के माहौल की कमजोरी के कारण, कंपनी यूके में स्क्रैप स्टील की भरपूर उपलब्धता का लाभ उठाना चाहती है।
वहीं, भारत में नेट जीरो का लक्ष्य 2070 तक है और यहां कॉर्बन टैक्स नहीं है। इसलिए, वहां का नियामक फ्रेमवर्क यूके से अलग है और चुनौती है कि बाजार में अधिक क्षमता पैदा की जाए ताकि हम वहां मजबूती से स्थिति बना सकें। उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन में स्थितियां अलग हैं और कंपनी ने कहा भी नहीं है कि ब्लास्ट फर्नेस का निर्माण बंद होगा।
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